अर्श - दिल से

Wednesday, June 2, 2010

बिग बॉस और संसार - एक अचार !






बिग बॉस और संसार - एक अचार !
मनुष्य का मन बड़ा ही विचित्र पंछी है! इस पर रोक लगाना बड़ा ही दुष्कर कार्य है! और यह भी स्वाभाविक है की ऐसी विचित्रताओं वाले मन को धारण करने वाला मनुष्य भी विचित्र ही होगा! हम अपने अंतरतम की गहराईयों में छिपे कालुष्य को नकार देते हैं और यदि यही कालिमा हमें औरों में दिखाई दे तो उसे दुनिया को बताने के लिए अपना गला तक फाड़ लेते हैं! हैं न ये विचित्रतम सत्य..? बहरहाल ऐसे ही विचित्र सत्यों की पाई पर मन के विभिन्न रंगों के ताने बाने से रिश्तों की बुनावट करती एक पहेली है - बिग बॉस ! लगभग १२५ देशों में लोकप्रिय यह शो भारत में भी टी आर पी की बुलंदियां छूता रहता है! आखिर क्या है इसकी सफलता का राज़ ॥? कई सेलेब्रिटियों की खिचड़ी.... या नेपथ्य की वो जानी पहचानी आवाज़ ! हम इसकी जडें भी जल्द ही खोजेंगे पर तब तक मित्र- जमे रहना ॥!!
हाँ तो भाई साहब ! हम चर्चा कर रहे थे "बिग बॉस महापुराण" की! चौंक गए बंधुवर !! जी हाँ ! ये कोई महापुराण से कम थोड़े न हैं! जीवन की हरेक सच्चाई दिखता है ये महापुराण - सत्य-असत्य, सुख-दुःख, आशाएं, उमीदें, छल-कपट, क्रोध, इर्ष्या, लोभ, मोह ... हे प्रभु...!! क्या नहीं है...? जीवन का हर वो मसाला मौजूद है जिससे जीवन जीने में हर तरह के चटखारे लिए जा सकते हैं! असल में ये मसाले और चटखारे का नाम सुनकर मेरे ज़ेहन में एक चटपटा नाम ही आता है और वो है- अचार !! अब आप सोच रहे होंगे की बिग बॉस और चटपटे अचार के बीच ये कैसा कनेक्शन ...? मेरे मालिक ! बहुत बड़ा कनेक्शन है ! विश्वास नहीं होता ? चलिए थोड़ी देर बाद शायद हो जाये। पर अभी तो आप ये सब भूल जाइये और कल्पना कीजिये अपनी बालपन की लीलाओं के- वो माँ का बड़े प्रेम से अचार बनाना ..शीशे की बर्नी में भरी और कपडे से ढंकी ..मसालेदार ..चटपटे अचार के टुकड़ों को छत पे सुखाना ..और आपका उसपर नज़रें जमाना..और उसे देखकर जीभ लपलपाना ...!! हेल्लो भाई साहब !! चलिए अब वापस लौट आइये इन सूखे दिनों में ! तो देखा आपने अचार का नाम सुनते ही आ गया ना आपके मुंह में भी पानी! बस अब थोड़ी कल्पनाशीलता और इस्तेमाल करें और ये सोचें की बिग बॉस एक बरनी है..शीशे वाली जिसके अन्दर भरे हैं मीठे आम, खट्टी इमली,तीखी लाल मिर्च, हरियाली शिमला मिर्च, कडवी मेथी के दाने कसैला आंवला, रेशेदार और फीका कटहल आदि आदि ! अब यूँ समझिये की ये साड़ी सामग्री इंसानों के मूलभूत प्रकृति को दर्शाते हैं ! ये सारी चीज़ें तेल में डूबी हुई हैं जो की असल में एक काल्पनिक पारिवारिक रिश्ता है जो सभी घरवालों को एक सूत्र में पिरोती है।


लीजिये बरखुरदार तैयार हो गया हमारा बिग बॉस छाप अचार । अब...? अब क्या इसे टेलीविजन की खुली छत पर टी आर पी की धुप लेने दें , जहाँ हम और आप जैसे निर्दिमाग प्राणी इसे देखकर चटखारे लेंगे। थोड़ी ही देर में हम पाते हैं की इस बर्नी के इर्द गिर्द भारी मजमा लगा हुआ है। कोई अपने पसंदीदा आम को निहार रहा है, तो किसी को मिर्ची पसंद है। वहीँ कोई इमली की खट्टेपन को निहार कर जीभ लपलपा रहा है। समय बीतते बीतते भीड़ बढती जाती है। वहीँ धूप बढ़ने से गर्म हुए तेल में सभी कुलबुला रहे हैं।
सभी का सब्र जवाब दे रहा है कहीं आम की लड़ाई मिर्ची से हो गयी तो वहीँ दूसरी ओर इमली आंवला और कटहल के साथ मिलकर मेथी को निकालने की साज़िश कर रहे हैं। तभी पता चला की धुप ख़त्म हो गयी और अचार का मालिक बर्नी लेकर भीतर चला गया। हम और आप मायूस होकर अगले दिन का इंतज़ार करने के लिए खुद को तैयार कर वापस लौट आते हैं। तो कुल मिलाकर ये है गुप्त ज्ञान इस अचार की सफलता का। पर आपने क्या एक बात सोंची।? की आखिर क्यूँ हम सभी इस अचार भरी बर्नी को निहारना पसंद करते हैं। क्यूँ ? ये सोचते सोचते मैं सो गया और जब आँखें खुली तो सारे सवालों के जवाब मिल गए । राज़ की बात ये है की जैसे ही मेरी आँख लगकी सपने में मुझे बाबा टी आर पी नाथ ने दर्शन दिए और कहा....!!


यही तो दुनिया का खेला है ! भीड़ में भी हर इंसान अकेला है !!
हम सेलेब्रिटियों के बारे में सोचते हैं, क्यूंकि उनमें हम अपने आप को खोजते हैं !!
पलभर में दोस्ती..पलभर में प्यार ! दिल में है नफरत तो संयमित व्यवहार !!
छोटी सी बर्नी में बंद है संसार ! इसीलिए तो फेमस है बिग बॉस अचार !!

-अर्श

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